670
कुछ कब होता है ।
कुछ कब होना है ।
छूट रहे कुछ प्रश्नों में ,
एक प्रश्न यही संजोना है ।
गूढ़ नही कुछ कोई ,
रजः को रजः पे सोना है ।
-----
671
हे अज्ञान ज्ञान के बासी ।
तू खोज रहा मथुरा काशी ।
तुझे श्याम मिलेंगे मन भीतर ,
तेरा मन देखे जिसकी झांकी ।
.
... विवेक दुबे"निश्चल"@..
डायरी 3
कुछ कब होता है ।
कुछ कब होना है ।
छूट रहे कुछ प्रश्नों में ,
एक प्रश्न यही संजोना है ।
गूढ़ नही कुछ कोई ,
रजः को रजः पे सोना है ।
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हे अज्ञान ज्ञान के बासी ।
तू खोज रहा मथुरा काशी ।
तुझे श्याम मिलेंगे मन भीतर ,
तेरा मन देखे जिसकी झांकी ।
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... विवेक दुबे"निश्चल"@..
डायरी 3
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