सोमवार, 10 दिसंबर 2018

भाषा की परिभाषा में ।

शब्दों की अभिलाषा में ।
भाषा की परिभाषा में ।

खोज रहा मन , गुपचुप ,
कुछ अर्थ पिपासा में ।

लय घुटता कुछ रुकता है ,
डूब रहा राग निराशा में ।

प्रणय गीत गाता फिर भी ,
मधुर मिलन की आशा में ।

भाव भरे है , गीत मेरे ,
सरगम का हरदम प्यासा मैं ।

खनकेंगे सुर भी साथ मेरे ,
रहता मन मन की दिलाशा में ।

गहन निशा के आँचल से ,
उठता भोर तले, उबासा मैं ।

मौन लिए मन,मन के भीतर ,
गढ़ चलता भाव सहासा मैं ।

शब्दों की अभिलाषा में ।
भाषा की परिभाषा में ।

.... विवेक दुबे"निश्चल"@..
डायरी 6(57)

कोई टिप्पणी नहीं:

कलम चलती है शब्द जागते हैं।

सम्मान पत्र

  मान मिला सम्मान मिला।  अपनो में स्थान मिला ।  खिली कलम कमल सी,  शब्दों को स्वाभिमान मिला। मेरी यूँ आदतें आदत बनती गई ।  शब्द जागते...