शब्दों की अभिलाषा में ।
भाषा की परिभाषा में ।
खोज रहा मन , गुपचुप ,
कुछ अर्थ पिपासा में ।
लय घुटता कुछ रुकता है ,
डूब रहा राग निराशा में ।
प्रणय गीत गाता फिर भी ,
मधुर मिलन की आशा में ।
भाव भरे है , गीत मेरे ,
सरगम का हरदम प्यासा मैं ।
खनकेंगे सुर भी साथ मेरे ,
रहता मन मन की दिलाशा में ।
गहन निशा के आँचल से ,
उठता भोर तले, उबासा मैं ।
मौन लिए मन,मन के भीतर ,
गढ़ चलता भाव सहासा मैं ।
शब्दों की अभिलाषा में ।
भाषा की परिभाषा में ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@..
डायरी 6(57)
भाषा की परिभाषा में ।
खोज रहा मन , गुपचुप ,
कुछ अर्थ पिपासा में ।
लय घुटता कुछ रुकता है ,
डूब रहा राग निराशा में ।
प्रणय गीत गाता फिर भी ,
मधुर मिलन की आशा में ।
भाव भरे है , गीत मेरे ,
सरगम का हरदम प्यासा मैं ।
खनकेंगे सुर भी साथ मेरे ,
रहता मन मन की दिलाशा में ।
गहन निशा के आँचल से ,
उठता भोर तले, उबासा मैं ।
मौन लिए मन,मन के भीतर ,
गढ़ चलता भाव सहासा मैं ।
शब्दों की अभिलाषा में ।
भाषा की परिभाषा में ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@..
डायरी 6(57)
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