गुरुवार, 13 दिसंबर 2018

अपनो के दुलारों से ।

चलो साथ किनारों पे ।
 अपनो के दुलारों से ।

 पार हुआ हर दरिया ,
 तिनको से सहारों से ।
 ..
 सँग मिला दिन भर ,
 ताप मिले नजारों से ।

 साँझ ढ़ले घर लौटें ,
अपनी सी पुकारो से ।

जीवन की बगियाँ में ,
पुष्प यहीं बहारों से ।

खोज रहे है गुपचुप ,
तन मन के इशारों से ।

चलो साथ किनारों पे ।
 अपनो के दुलारों से ।

... विवेक दुबे"निश्चल"@...

डायरी 6(66)
Blog post 13/12/18

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