चलो साथ किनारों पे ।
अपनो के दुलारों से ।
पार हुआ हर दरिया ,
तिनको से सहारों से ।
..
सँग मिला दिन भर ,
ताप मिले नजारों से ।
साँझ ढ़ले घर लौटें ,
अपनी सी पुकारो से ।
जीवन की बगियाँ में ,
पुष्प यहीं बहारों से ।
खोज रहे है गुपचुप ,
तन मन के इशारों से ।
चलो साथ किनारों पे ।
अपनो के दुलारों से ।
... विवेक दुबे"निश्चल"@...
डायरी 6(66)
Blog post 13/12/18
अपनो के दुलारों से ।
पार हुआ हर दरिया ,
तिनको से सहारों से ।
..
सँग मिला दिन भर ,
ताप मिले नजारों से ।
साँझ ढ़ले घर लौटें ,
अपनी सी पुकारो से ।
जीवन की बगियाँ में ,
पुष्प यहीं बहारों से ।
खोज रहे है गुपचुप ,
तन मन के इशारों से ।
चलो साथ किनारों पे ।
अपनो के दुलारों से ।
... विवेक दुबे"निश्चल"@...
डायरी 6(66)
Blog post 13/12/18
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें