सोमवार, 10 दिसंबर 2018

ये परिवर्तन क्या है ?

ये परिवर्तन क्या है ?
बस दृश्य बदलते है ।

बदले हुए मोहरे भी ,
चाल नही बदलते है ।

पिटते प्यादे मोहरों से ,
बजीर नही हिलते है ।

ढाई चाल की ऐड़ लगी ,
शह से प्यादे पिटते है ।

ये परिवर्तन क्या है ?
बस दृश्य बदलते है ।

... विवेक दुबे"निश्चल"@...

मत देने से मत पाता ।
तो मैं भी मत दे आता ।

छिनते सारे मत जिससे ,
फिर मैं कैसा मत दाता ।

... निश्चल..

लिखते रहे सब तक़दीर हमारी ।
कहते रहे , तुम, जागीर हमारी ।
घिस पिसते रहे दो पाटों में ,
समझे नही कोई पीर हमारी ।

बचपन आया योवन तन में ,
काम नही डिग्री की लाचारी ।
प्रौढ़ हुए युवा समय से पहले ,
रोजी की चिंता सिर पे भारी ।

सर्द खड़ा है खेतों में वो ,
लागत की वर्षा होती भारी ।
दे आया उनके दामों में धन ,
मालामाल माया के पुजारी ।

कहते है वो बड़ी शान से ,
अपने वादों में सत्ताधारी ।
बेठाओ तुम हमे कुर्सी पर ,
कर देंगे हम भर झोली भारी ।

बांट रहे है माल-ए-मुफ्त ,
सब के सब ही बारी बारी ।
काम नही पर हाथों में ,
बढ़ती है हाथों की बेकारी ।

कुछ दिन की कतरन है ,
रातो का योवन भारी ।
सब रीते से बर्तन है ,
रीत गये दिन खाली ।

... विवेक दुबे"निश्चल"@....
डायरी 6(62)

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