गुरुवार, 26 अप्रैल 2018

न कर नादानी

और न कर तू नादानी ।
 ज़ीवन की मोड़ कहानी ।
 लिख जा हर्फ़ सुनहरे से ,
  तू स्याह न छोड़ निशानी ।
.... 
हम रोशनियों के मारे हैं ।
हम चिराग़ तले उजाले हैं ।
जले चिराग़ साथ हमे लेकर,
 इल्ज़ाम नाम हमारे उतारे हैं ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@...
डायरी 4

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कलम चलती है शब्द जागते हैं।

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