रोती नही तन्हाई भी अब तो ।
रुस्वा हुई रुसवाई भी अब तो ।
टूटकर संग उस मासूम चोट से ,
हुआ बेज़ार ज़ार ज़ार अब तो ।
...
इन बेचैनियों को चेन आए जरा ।
उस निग़ाह से कोई आए जरा ।
तल्खियाँ आज बहुत है दिल में ,
अब लफ्ज़ खुशबू बिखराएँ जरा ।
....
.... विवेक दुबे"निश्चल"@..
रुस्वा हुई रुसवाई भी अब तो ।
टूटकर संग उस मासूम चोट से ,
हुआ बेज़ार ज़ार ज़ार अब तो ।
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इन बेचैनियों को चेन आए जरा ।
उस निग़ाह से कोई आए जरा ।
तल्खियाँ आज बहुत है दिल में ,
अब लफ्ज़ खुशबू बिखराएँ जरा ।
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.... विवेक दुबे"निश्चल"@..
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