ऐसा क्यों होता है ।
हरदम धोका सा होता है ।
पा जाने की खातिर ,
जीवन जीवन को खोता है ।
हँसता है वो रोता है ,
स्वप्न सलोना धोका है ।
भोर सुबह की चिंता में ,
वो रातों को न सोता है ।
हार नही एक हार से ,
जीवन तो मौका ही मौका है ।
सहज संजोता चल जीवन को ,
जीवन ने खुद को तुझमे देखा है ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@.
हरदम धोका सा होता है ।
पा जाने की खातिर ,
जीवन जीवन को खोता है ।
हँसता है वो रोता है ,
स्वप्न सलोना धोका है ।
भोर सुबह की चिंता में ,
वो रातों को न सोता है ।
हार नही एक हार से ,
जीवन तो मौका ही मौका है ।
सहज संजोता चल जीवन को ,
जीवन ने खुद को तुझमे देखा है ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें