सोमवार, 23 अप्रैल 2018

ऐसा क्यों होता है

ऐसा क्यों होता है ।
 हरदम धोका सा होता है ।

 पा जाने की खातिर ,
 जीवन जीवन को खोता है । 

  हँसता है वो रोता है ,
 स्वप्न सलोना धोका है ।

  भोर सुबह की चिंता में ,
   वो रातों को न सोता है ।

  हार नही एक हार से ,
   जीवन तो मौका ही मौका है ।

 सहज संजोता चल जीवन को , 
   जीवन ने खुद को तुझमे देखा है ।

.... विवेक दुबे"निश्चल"@.

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