सोमवार, 23 अप्रैल 2018

मुक्तक उसे रंज न मलाल


उसे रंज था न मलाल था ।
 उसे ज़िंदगी का ख्याल था ।
 हार के वो अपनी खुशियाँ ,
 जीत के वो अपनी पास था ।
..... ...
जीवन को अपने वो लिखता कैसे ।
 कलम तले शब्दों में टिकता कैसे ।
 हार गया हो जो , खुद से खुद ,
 दुनियाँ को फिर वो जीतता कैसे ।
  .....

जीवन को अपने वो लिखे कैसे ।
 कलम तले शब्दों में टिके कैसे ।
 हार गया जो खुद से ही खुद ,
  दुनियाँ को फिर वो जीते कैसे ।
  ..... ...

 और न कर तू नादानी ।
 ज़ीवन की मोड़ कहानी ।
 लिख जा हर्फ़ सुनहरे से ,
  तू स्याह न छोड़ निशानी ।

 .... विवेक दुबे"निश्चल"@..


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