उसे रंज था न मलाल था ।
उसे ज़िंदगी का ख्याल था ।
हार के वो अपनी खुशियाँ ,
जीत के वो अपनी पास था ।
..... ...
जीवन को अपने वो लिखता कैसे ।
कलम तले शब्दों में टिकता कैसे ।
हार गया हो जो , खुद से खुद ,
दुनियाँ को फिर वो जीतता कैसे ।
.....
जीवन को अपने वो लिखे कैसे ।
कलम तले शब्दों में टिके कैसे ।
हार गया जो खुद से ही खुद ,
दुनियाँ को फिर वो जीते कैसे ।
..... ...
और न कर तू नादानी ।
ज़ीवन की मोड़ कहानी ।
लिख जा हर्फ़ सुनहरे से ,
तू स्याह न छोड़ निशानी ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@..
उसे ज़िंदगी का ख्याल था ।
हार के वो अपनी खुशियाँ ,
जीत के वो अपनी पास था ।
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जीवन को अपने वो लिखता कैसे ।
कलम तले शब्दों में टिकता कैसे ।
हार गया हो जो , खुद से खुद ,
दुनियाँ को फिर वो जीतता कैसे ।
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जीवन को अपने वो लिखे कैसे ।
कलम तले शब्दों में टिके कैसे ।
हार गया जो खुद से ही खुद ,
दुनियाँ को फिर वो जीते कैसे ।
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और न कर तू नादानी ।
ज़ीवन की मोड़ कहानी ।
लिख जा हर्फ़ सुनहरे से ,
तू स्याह न छोड़ निशानी ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@..
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