काश मुझे वो लिखने देता ।
सपनो को मेरे बिकने देता ।
संजो रहा जिन सपनो को ,
उन सपनों को टिकने देता ।
काश मुझे वो लिखने देता ।
आती जाती इन सांसो के ,
वो हार मुझे पिरोने देता ।
जीता सपनो की ख़ातिर ,
कलम तले सपना होता ।
लिखता सपने पल पल के,
हर सपना मेरा अपना होता ।
लेते अक्षर रूप सुहाना ,
मेरा स्वप्न खिलौना होता ।
काश मुझे वो लिखने देता ।
हार कहीं है जीत कहीं ,
शब्दों में सहज रहा होता ।
सीकर शब्दों से शब्दों को,
भाव सुखद सलोना होता ।
काश मुझे वो लिखने देता ।
..... विवेक दुबे"निश्चल"@....
सपनो को मेरे बिकने देता ।
संजो रहा जिन सपनो को ,
उन सपनों को टिकने देता ।
काश मुझे वो लिखने देता ।
आती जाती इन सांसो के ,
वो हार मुझे पिरोने देता ।
जीता सपनो की ख़ातिर ,
कलम तले सपना होता ।
लिखता सपने पल पल के,
हर सपना मेरा अपना होता ।
लेते अक्षर रूप सुहाना ,
मेरा स्वप्न खिलौना होता ।
काश मुझे वो लिखने देता ।
हार कहीं है जीत कहीं ,
शब्दों में सहज रहा होता ।
सीकर शब्दों से शब्दों को,
भाव सुखद सलोना होता ।
काश मुझे वो लिखने देता ।
..... विवेक दुबे"निश्चल"@....
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