मूल्य नही अब भावों के ,
हृदय शून्य विचारो से ।
होते मतलब तब तक,
तब तक मिलते यारों से ।
हित साधन शेष रहे ,
रिश्ते नाते दारों से ।
क्या मित्र क्या आँख के तारे,
स्वार्थ भरे सब उजियारे ।
रिश्ते बिकते बाज़ारो में ,
फिरते मारे मारे गलियारों में।
... विवके दुबे"निश्चल"@..
हृदय शून्य विचारो से ।
होते मतलब तब तक,
तब तक मिलते यारों से ।
हित साधन शेष रहे ,
रिश्ते नाते दारों से ।
क्या मित्र क्या आँख के तारे,
स्वार्थ भरे सब उजियारे ।
रिश्ते बिकते बाज़ारो में ,
फिरते मारे मारे गलियारों में।
... विवके दुबे"निश्चल"@..
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