मन पशुता पलती रहेगी ।
यह वेदना खलती रहेगी ।
गली चौराहे सड़क पर,
निर्भया मिलती रहेगी ।
जीत लिया ईमान शैतान ने ।
अभय वर दिया बे-ईमान ने ।
शस्त्र लिए जो पाखण्डों के ,
पूजा आज उसे इंसान ने ।
मासूम नही जो न भोला है ।
पहना छद्म का बस चोला है ।
करता छल धर्म की आड़ में ,
दुराचारी मन भीतर डोला है ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@...
यह वेदना खलती रहेगी ।
गली चौराहे सड़क पर,
निर्भया मिलती रहेगी ।
जीत लिया ईमान शैतान ने ।
अभय वर दिया बे-ईमान ने ।
शस्त्र लिए जो पाखण्डों के ,
पूजा आज उसे इंसान ने ।
मासूम नही जो न भोला है ।
पहना छद्म का बस चोला है ।
करता छल धर्म की आड़ में ,
दुराचारी मन भीतर डोला है ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@...
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