बुधवार, 7 मार्च 2018

7 मार्च

    ---7 मार्च है बहुत खास ----
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 मैं प्रणय गीत फिर गाता हूँ ।
यादों को जगाता हूँ ।
सुर्ख गुलाबी हाथों को ,
छूते हुए शर्माता हूँ ।
अध् खुले नैनों से, 
नयन मिलाता हूँ ।
अधरों के कम्पन से,
 हृदय भाव रचाता हूँ ।
 मैं प्रणय गीत गाता हूँ ।
साँसों से साँसे मिलाता हूँ ।
दो धड़कन एक बनाता हूँ ।
मैं प्रणय गीत फिर गाता हूँ ..... 
 मृग नयनी कस्तूरी सा पाता हूँ ।
 मधुवन भवरें सा मंडराता हूँ ।
मैं प्रणय गीत फिर गाता हूँ ..... 
प्रणय मिलन की बेला में,
आज तुझे सजाता हूँ ।
 पल अनमोल बनाता हूँ ।
मैं प्रणय गीत फिर गाता हूँ ..... 
तू ही मैं ,मैं ही तू ,
यह अहसास दिलाता हूँ ।
अहसासों के बंधन बंध जाता हूँ ।
 मैं प्रणय गीत फिर गाता हूँ ।
.....विवेक दुबे"निश्चल"@.....

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