मधु मास आया है ।
कलियों पर यौवन छाया है।
भंवरों से मिलने को ,
कलियों की आतुर काया है ।
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भंवरों ने प्रणय गान गया है ।
मन आज बौराया है ।
वसुधा सजी दुल्हन सी ,
देख व्योम भी शरमाया है ।
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देख श्रृंगार उर्वी का ,
विधु ने खुद को पिघलाया है ।
पुष्पित सुरभित आज उर्वी ,
विधु ने प्रणय रस बरसाया है ।
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..... विवेक दुबे©.....
कलियों पर यौवन छाया है।
भंवरों से मिलने को ,
कलियों की आतुर काया है ।
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भंवरों ने प्रणय गान गया है ।
मन आज बौराया है ।
वसुधा सजी दुल्हन सी ,
देख व्योम भी शरमाया है ।
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देख श्रृंगार उर्वी का ,
विधु ने खुद को पिघलाया है ।
पुष्पित सुरभित आज उर्वी ,
विधु ने प्रणय रस बरसाया है ।
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..... विवेक दुबे©.....
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