मंगलवार, 6 मार्च 2018

उलझती सुलझती ज़िंदगी

उलझती है सुलझती है ज़िन्दगी ।
 रुकती कहाँ चलती है ज़िन्दगी ।

स्याह रंग समेट भटकती है जिंदगी ।
 चटक रंग लपेट दमकती है जिंदगी ।

  निराशा आँचल दुबकती है जिंदगी । 
  आशा आँचल  चहकती है जिंदगी ।
  
 दामन में साँझ सिमटती है जिंदगी ।
  गोद में सुबह किलकती है जिंदगी ।

 रुकना नही चलना नाम ज़िंदगी ।
 हर पल एक नया मुक़ाम ज़िंदगी ।

 उलझती है सुलझती है ज़िन्दगी ।
 रुकती कहाँ चलती है ज़िन्दगी ।
... विवेक दुबे"निश्चल"@....
  

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कलम चलती है शब्द जागते हैं।

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