सोमवार, 5 मार्च 2018

कास गंज की घटना

कास गंज की घटना

उतार दिया लोहा उसके सीने में,
निकला नाम वन्देमातरम जिस सीने से। 

 हाय गणतंत्र हाय हाय री आजादी ,
 गली गली घूम रहे आज जिहादी ।
  चलते आज बेख़ौफ़ देश मे ,
   राष्ट्र प्रेम की लिए सुपारी ।

 आज़ादी अभिव्यक्ति को लेकर ,
 करते थे कल जो बातें बड़ी बड़ी ।
  चुप क्यों है वो सारे बुद्धि धारी ।
 माना बंदेमातरम उनका एजेंडा है,
 पर हाथ लिए तो वो तिरंगा हैं ।

 उठा रहे वो उस ध्वजा ध्वज को,
 जिसकी खातिर वीरों ने जान लगा दी ।
 आज़ाद हिंद की यह कैसी आज़ादी ,
 आज़ादी आज बनी लाचारी ।
..... विवेक दुबे"निश्चल"@....

कोई टिप्पणी नहीं:

कलम चलती है शब्द जागते हैं।

सम्मान पत्र

  मान मिला सम्मान मिला।  अपनो में स्थान मिला ।  खिली कलम कमल सी,  शब्दों को स्वाभिमान मिला। मेरी यूँ आदतें आदत बनती गई ।  शब्द जागते...