देश पर मिटना मेरा काम न था।
यूँ शहीदों में मेरा नाम न था ।
मैं जीता खुदगर्ज़ी के आलम में,
मैं शहीदों सा बदनाम न था ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@...
सिंदूर उजड़ते , सूनी राखी ।
सूनी कोख , छाया की लाचारी ।
कुटिल नीतियाँ सत्ता की ।
सैनिक की छाती गोली खाती ।
.... विवेक दुबे "निश्चल"@ .....
सिंदूर उजड़ते , सूनी राखी ।
सूनी कोख , छाया की लाचारी ।
कुटिल नीतियाँ सत्ता की ।
सैनिक की छाती गोली खाती ।
.... विवेक दुबे "निश्चल"@ .....
वो सुहाग चूड़ीयाँ नई नवेली थीं।
अलबेले साजन की सहेली थीं ।
बिखर गईं पल भर में सीमा पर ,
सीमा पे साजन ने खेली होली थी।
कर रक्षा भारत माँ के सुहाग की ,
एक सुहागन बिधवा हो ली थी।
कोटि कोटि चूड़ियों की खातिर,
अपनी चूड़ियाँ उसने खो दीं थीं ।
.... विवेक दुबे "निश्चल" © ....
मरते रहे लाल भारत के भाल पे ।
बस एक मातृ भूमि के सवाल पे ।
भला क्या जाने वो आन देश की ,
चलते रहे हैं जो थैले सम्हाल के ।
... विवेक दुबे"निश्चल"@......
यूँ शहीदों में मेरा नाम न था ।
मैं जीता खुदगर्ज़ी के आलम में,
मैं शहीदों सा बदनाम न था ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@...
सिंदूर उजड़ते , सूनी राखी ।
सूनी कोख , छाया की लाचारी ।
कुटिल नीतियाँ सत्ता की ।
सैनिक की छाती गोली खाती ।
.... विवेक दुबे "निश्चल"@ .....
सिंदूर उजड़ते , सूनी राखी ।
सूनी कोख , छाया की लाचारी ।
कुटिल नीतियाँ सत्ता की ।
सैनिक की छाती गोली खाती ।
.... विवेक दुबे "निश्चल"@ .....
वो सुहाग चूड़ीयाँ नई नवेली थीं।
अलबेले साजन की सहेली थीं ।
बिखर गईं पल भर में सीमा पर ,
सीमा पे साजन ने खेली होली थी।
कर रक्षा भारत माँ के सुहाग की ,
एक सुहागन बिधवा हो ली थी।
कोटि कोटि चूड़ियों की खातिर,
अपनी चूड़ियाँ उसने खो दीं थीं ।
.... विवेक दुबे "निश्चल" © ....
मरते रहे लाल भारत के भाल पे ।
बस एक मातृ भूमि के सवाल पे ।
भला क्या जाने वो आन देश की ,
चलते रहे हैं जो थैले सम्हाल के ।
... विवेक दुबे"निश्चल"@......
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