आज का परिदृश्य
आज फिर राम राज्य लाना होगा।
लँका जला रावण नाभि सुखाना होगा ।
हे राम तुम्हे फिर वापस आना होगा ।
अब रावण फैले कदम कदम ,
एक कमान कई तीर चढ़ाना होगा।
आज बहुत हुए आतताई ।
नही सुरक्षित बहने और माई ।
कैकई को आँगे आना होगा ।
सीता को फिर वन जाना होगा ।
हे राम तुम्हे फिर .....
....विवेक दुबे"निश्चल"@....
आज फिर राम राज्य लाना होगा।
लँका जला रावण नाभि सुखाना होगा ।
हे राम तुम्हे फिर वापस आना होगा ।
अब रावण फैले कदम कदम ,
एक कमान कई तीर चढ़ाना होगा।
आज बहुत हुए आतताई ।
नही सुरक्षित बहने और माई ।
कैकई को आँगे आना होगा ।
सीता को फिर वन जाना होगा ।
हे राम तुम्हे फिर .....
....विवेक दुबे"निश्चल"@....
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