आजादी अब ,
70 के पास पहुच रही ।
पर नादान बच्चे सी ,
आज भी रो रही।
ओ आजादी चुप हो जा,
न आँसू बहा ।
शायद तेरी,मेरी ,
हम सबकी,नियति यही ।
वारिस आज तक ,
मिला नही कोई।
जो वारिस बन आया,
उसने अपना ही ,
कानून चलाया।
न तेरा कुछ हो पाया,
न मेरा कुछ हो पाया ।
.....विवेक दुबे"निश्चल"@...
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