सोमवार, 5 मार्च 2018

आजादी


आजादी अब ,
70 के पास पहुच रही ।
पर नादान बच्चे सी ,
आज भी रो रही।
ओ आजादी चुप हो जा,
 न आँसू बहा ।
शायद तेरी,मेरी ,
 हम सबकी,नियति यही ।
 वारिस आज तक ,
  मिला नही कोई।
 जो वारिस बन आया,
 उसने अपना ही ,
 कानून चलाया।
न तेरा कुछ हो पाया,
 न मेरा कुछ हो पाया ।
       .....विवेक दुबे"निश्चल"@...

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