मंगलवार, 6 मार्च 2018

क्या खेलें हम होली

सीमा पर चलतीं हर दिन गोली ,
क्या खेलें हम एक दिन होली ।
 रंग चढ़े उन पे वतन परस्ती के,
 वो खेलें अपने लहू सँग होली ।

 डूब रहे हम अपनी मस्ती में,
 भूल रहे जो सीने खाते गोली ।
 सीमा पर अनचाही चलती गोली ।
 खेल रहे वीर राष्ट्र प्रेम की होली ।
क्या खेलें हम होली ।
 ...विवेक दुबे"निश्चल"@..

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कलम चलती है शब्द जागते हैं।

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