वहाँ ख़लीश-ऐ-दौर था,
यहाँ कशिश-ऐ-दौर है ।
वहाँ नही कोई और था ,
यहाँ नहीं कोई और है।
वहाँ अदावतें इंकार थीं ,
यहाँ नवाज़िशें इकरार हैं ।
वहाँ रंजिशे बेशुमार थीं ,
यहाँ प्यार बेशुमार है ।
वहाँ दिल-ऐ-बेहाल था,
यहाँ दिल-ऐ-बेहाल है ।
....विवेक दुबे"निश्चल"@......
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