सोमवार, 5 मार्च 2018

वो दौर

 
    वहाँ ख़लीश-ऐ-दौर था,
           यहाँ कशिश-ऐ-दौर है ।
    वहाँ नही कोई और था ,
            यहाँ नहीं कोई और है।
  वहाँ अदावतें इंकार थीं ,
           यहाँ नवाज़िशें इकरार हैं ।
  वहाँ रंजिशे बेशुमार थीं ,
              यहाँ प्यार बेशुमार है ।        
   वहाँ  दिल-ऐ-बेहाल था,
         यहाँ दिल-ऐ-बेहाल है ।
                ....विवेक दुबे"निश्चल"@......

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