शुक्रवार, 20 जुलाई 2018

मुक्तक 457

457
झोंके शीतल अहसास भरे होते है ।
तेज हवाओं के अंधड़ से होते है ।
 उभरीं  जो दिल के अहसासों से ,
उन तस्वीरों के रंग सुनहरे होते है ।
.....
458
खोज न सका मैं उस प्रकाश को ।
दिखाता जो मुझे मेरे आकाश को ।
तलाश में चला सूरज मंजिलों की ,
 बिखेर कर अपनी ही आभास को ।

... विवेक दुबे"निश्चल"@...
डायरी 3

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कलम चलती है शब्द जागते हैं।

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