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सायली छंद
वक़्त
बदलता है
बदल जाने दो
फिर बदलेगा
बदलकर
वो
आदमी भी
ठोकरें खाता है
जो चलता
सम्हलकर
....विवेक दुबे"निश्चल"@.
सायली छंद
वक़्त
बदलता है
बदल जाने दो
फिर बदलेगा
बदलकर
वो
आदमी भी
ठोकरें खाता है
जो चलता
सम्हलकर
....विवेक दुबे"निश्चल"@.
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