तसल्ली देना कोई उन से सीख ले ।
प्यार की भाषा कोई उन से सीख ले ।
है नही इश्क़ किसी से यूँ तो उनको ,
इश्क़ क्या है कोई उन से सीख ले ।
..
क्युं करते नही वो वफ़ा किसी से ,
वफ़ा क्या है कोई उनसे सीख ले ।
चले नहीं वो कभी राह-ए-मोहब्बत ,
तन्हाई क्या है कोई उनसे सीख ले ।
क्युं सहजे कुछ क़तरे अश्क़ के ,
दर्द क्या है कोई उनसे सीख लें ।
क्युं रौनक नही उस निग़ाह में कोई ,
आब क्या है कोई उनसे सीख ले ।
क्युं लिखता ही रहा है वो "निश्चल"
क़ता क्या है कोई उनसे सीख लें
..... विवेक दुबे"निश्चल"@..
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