दिन बना फुरसत का ।
वक़्त बड़ा गुरवत का ।
बे-रूखी है ये कैसी ,
तंज मिला हसरत का ।
छूटकर अपने किनारों से ,
सफर रहा शोहरत का ।
हार कर हालातों से ,
किस्सा बना किस्मत का ।
साथ नही वक़्त उसके ,
मोहताज़ रहा मोहलत का ।
"निश्चल" कायम खुद्दारी से ,
यही खज़ाना दौलत का ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@..
वक़्त बड़ा गुरवत का ।
बे-रूखी है ये कैसी ,
तंज मिला हसरत का ।
छूटकर अपने किनारों से ,
सफर रहा शोहरत का ।
हार कर हालातों से ,
किस्सा बना किस्मत का ।
साथ नही वक़्त उसके ,
मोहताज़ रहा मोहलत का ।
"निश्चल" कायम खुद्दारी से ,
यही खज़ाना दौलत का ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@..
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