शनिवार, 21 जुलाई 2018

आज मुखोटा होता है

जीने से पहले मरने का सौदा होता है ।
हर चेहरे पर आज मुखोटा होता है ।

सूख रहीं कलकल धाराएं रिश्तों की ,
रिश्तों में अब स्वार्थ सलोना होता है ।

चलते अब बस सँग साथ बही ,
जिनको लाभ पिरोना होता है ।

 भोर मिले मतलब की छाँव तले ,
 साँझ कहीं कहीं बिछौना होता है ।

हर चेहरे पर आज मुखोटा होता है ।

परमारथ के शील सरोबार में ,
स्वारथ कलश डुबोना होता है ।

 रिश्तों में रिश्तों की अचकन से ,
 रिश्तों का स्वार्थ निचोना होता है ।

 क्यों शीतल पड़ते रिश्तों में ,
 तप्त बदन डुबोना होता है ।

हर चेहरे पर आज मुखोटा होता है ।

..... विवेक दुबे"निश्चल"@...

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