जीने से पहले मरने का सौदा होता है ।
हर चेहरे पर आज मुखोटा होता है ।
सूख रहीं कलकल धाराएं रिश्तों की ,
रिश्तों में अब स्वार्थ सलोना होता है ।
चलते अब बस सँग साथ बही ,
जिनको लाभ पिरोना होता है ।
भोर मिले मतलब की छाँव तले ,
साँझ कहीं कहीं बिछौना होता है ।
हर चेहरे पर आज मुखोटा होता है ।
परमारथ के शील सरोबार में ,
स्वारथ कलश डुबोना होता है ।
रिश्तों में रिश्तों की अचकन से ,
रिश्तों का स्वार्थ निचोना होता है ।
क्यों शीतल पड़ते रिश्तों में ,
तप्त बदन डुबोना होता है ।
हर चेहरे पर आज मुखोटा होता है ।
..... विवेक दुबे"निश्चल"@...
हर चेहरे पर आज मुखोटा होता है ।
सूख रहीं कलकल धाराएं रिश्तों की ,
रिश्तों में अब स्वार्थ सलोना होता है ।
चलते अब बस सँग साथ बही ,
जिनको लाभ पिरोना होता है ।
भोर मिले मतलब की छाँव तले ,
साँझ कहीं कहीं बिछौना होता है ।
हर चेहरे पर आज मुखोटा होता है ।
परमारथ के शील सरोबार में ,
स्वारथ कलश डुबोना होता है ।
रिश्तों में रिश्तों की अचकन से ,
रिश्तों का स्वार्थ निचोना होता है ।
क्यों शीतल पड़ते रिश्तों में ,
तप्त बदन डुबोना होता है ।
हर चेहरे पर आज मुखोटा होता है ।
..... विवेक दुबे"निश्चल"@...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें