शनिवार, 21 जुलाई 2018

सायली छंद

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उन्मुक्त
 आकाश में ,
रिक्त कुछ आकांक्षाएं ।
  भटक रहीं  
  इच्छाएं ।
.... 
वक़्त
गुजरता गया
हालात बदलता गया
 मैं क्यों 
 "निश्चल"
.... 
वक़्त
गुजरता गया
हालात बदलता गया
 बदला नहीं 
 "निश्चल"

.... विवेक दुबे"निश्चल"@....

दुआ ,
 मिलने की ,
क्यों पिघलती नही  
 सोचकर सोचता ,
 यही ।

पैमाना ,
 कैसा है ।
 इन दूरियों का ,
 बदलता नही ,
 कभी ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@..

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कलम चलती है शब्द जागते हैं।

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