शनिवार, 21 जुलाई 2018

सायली छंद

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सायली छंद

चाहत
अम्बर की 
 धरती होने की 
  धुंधली साँझ 
   सजाती ।

 चाहत 
 धरती की 
 अम्बर होने की 
 भोर उजाला 
  लाती ।

 सितारे 
चँचल से 
पर "निश्चल" से
दूर गगन
 खड़े ।
  
साँझ 
का झुरमुट 
 चाँद की आस 
  एक अधूरी
 प्यास

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कलम चलती है शब्द जागते हैं।

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