घनश्याम छंद
विधान -
(जगण जगण भगण भगण भगण गुरु।)
(121 121 211 211 211 2)
लिखें जब गीत,
आकृति भारत की लिखना ।
सजे जब साज,
उन्नति भारत की लिखना ।
मिले जब आज,
तो कल भारत का लिखना।
खिले जब ज्ञान,
वो फ़ल भारत का लिखना।
दिए जब मान,
सो हट भारत की रखना ।
दिए जब आन ,
तो लट भारत की रखना ।
छेड़ें जब तान ,
सो नच भारत को रखना ।
छेड़ें जब गान ,
तो रच भारत को रखना ।
रीत सदा सच ,
भारत का है यह गहना
गंगा जल सा ही ,
भारत में सब को बहना ।
जात धर्म नही कोई ,
गीतों में बस ये कहना ।
साथ रहे सदा है ,
साथ साथ ही है रहना ।
तन छेदकर शूली पर
बलिदानों ने पहना ।
"निश्चल" अमर रहे ,
आजादी का यह गहना ।
... विवेक दुबे"निश्चल"@...
आज़ादी
विधान -
(जगण जगण भगण भगण भगण गुरु।)
(121 121 211 211 211 2)
लिखें जब गीत,
आकृति भारत की लिखना ।
सजे जब साज,
उन्नति भारत की लिखना ।
मिले जब आज,
तो कल भारत का लिखना।
खिले जब ज्ञान,
वो फ़ल भारत का लिखना।
दिए जब मान,
सो हट भारत की रखना ।
दिए जब आन ,
तो लट भारत की रखना ।
छेड़ें जब तान ,
सो नच भारत को रखना ।
छेड़ें जब गान ,
तो रच भारत को रखना ।
रीत सदा सच ,
भारत का है यह गहना
गंगा जल सा ही ,
भारत में सब को बहना ।
जात धर्म नही कोई ,
गीतों में बस ये कहना ।
साथ रहे सदा है ,
साथ साथ ही है रहना ।
तन छेदकर शूली पर
बलिदानों ने पहना ।
"निश्चल" अमर रहे ,
आजादी का यह गहना ।
... विवेक दुबे"निश्चल"@...
आज़ादी
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