सोमवार, 13 अगस्त 2018

घन श्याम छंद

घनश्याम छंद 
विधान -
(जगण  जगण भगण भगण भगण गुरु।)
(121   121  211  211     211  2)

लिखें जब गीत,
      आकृति भारत की लिखना ।
सजे जब साज,
     उन्नति भारत की लिखना ।
मिले जब आज,
        तो कल भारत का लिखना।
खिले जब ज्ञान,
        वो फ़ल भारत का लिखना।

 दिए जब मान,
       सो हट भारत की रखना ।
 दिए जब आन ,
       तो लट भारत की रखना ।
छेड़ें जब तान  ,
        सो नच भारत को रखना ।
 छेड़ें जब गान ,
        तो रच भारत को रखना ।

रीत सदा सच  ,
              भारत का है यह गहना 
 गंगा जल सा ही ,
               भारत में सब को बहना ।
जात धर्म नही कोई ,
                गीतों में बस ये कहना ।
साथ रहे सदा है  ,
           साथ साथ ही है रहना ।

तन छेदकर शूली पर 
                 बलिदानों ने पहना ।
"निश्चल" अमर रहे ,
          आजादी का यह गहना ।


... विवेक दुबे"निश्चल"@...

आज़ादी

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