गुरुवार, 16 अगस्त 2018

वतन जीवन( द्रुत विलबिंत छंद)

द्रुत विलबिंत छंद
111  211  211 212
लहर सागर पाद पखारती ।
पवन आँगन गाद बुहारती 
किरण श्रेयस भोर निखारता।
 खिल निशापति तेज दुलारता।

सु-तन यौवन बेष निखार ता ।
सु-घड़ ये तन देश सिंगार सा ।
सु-मधुता मन तेज विखार ता ।
वतन जीवन सेज सुहाग सा ।
... विवेक दुबे"निश्चल"@...

कोई टिप्पणी नहीं:

कलम चलती है शब्द जागते हैं।

सम्मान पत्र

  मान मिला सम्मान मिला।  अपनो में स्थान मिला ।  खिली कलम कमल सी,  शब्दों को स्वाभिमान मिला। मेरी यूँ आदतें आदत बनती गई ।  शब्द जागते...