ना जान सका ब्रम्हा ,
मैं क्या जानूँ अज्ञानी ।
शिव अनन्त अजन्मा ,
महिमा न जाए बखानी ।
कण कण व्यापी अविनाशी वो ।
जो न जाते हैं न जो आते हैं ।
शिव महान हैं काल परे वो ,
नित्य सदा शिव कहलाते हैं ।
प्रभा जीव की , सकल कहलाते है ।
अजा काल की , अटल कहलाते है ।
शिवा नाद है ,अजर सदा रहे जो ।
शिवा आज हैं , अमर कहलाते है ।
जीव प्रभा से , सकल कहलाते हैं ।
काल कला से ,अटल कहलाते है ।
नाद अजा से , अजर रहते है जो ,
शिव सदा से , अमर कहलाते है ।
... ...विवेक दुबे"निश्चल"@..
अजा /- कांति
मैं क्या जानूँ अज्ञानी ।
शिव अनन्त अजन्मा ,
महिमा न जाए बखानी ।
कण कण व्यापी अविनाशी वो ।
जो न जाते हैं न जो आते हैं ।
शिव महान हैं काल परे वो ,
नित्य सदा शिव कहलाते हैं ।
प्रभा जीव की , सकल कहलाते है ।
अजा काल की , अटल कहलाते है ।
शिवा नाद है ,अजर सदा रहे जो ।
शिवा आज हैं , अमर कहलाते है ।
जीव प्रभा से , सकल कहलाते हैं ।
काल कला से ,अटल कहलाते है ।
नाद अजा से , अजर रहते है जो ,
शिव सदा से , अमर कहलाते है ।
... ...विवेक दुबे"निश्चल"@..
अजा /- कांति
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