बुधवार, 15 अगस्त 2018

उन्नति भारत की लिखना

 घनश्याम छंद 
विधान -
(जगण  जगण भगण भगण भगण गुरु।)
(121   121  211  211     211  2)


लिखें जब गीत ,
    उन्नति भारत की लिखना ।
 सजा कर साज , 
    आकृति भारत की रखना  ।।

 मिला कर आज ,
      तू कल भारत का लिखना ।
खिलें जब फ़ूल ,
      तो फ़ल भारत को रखना ।।

मिले नित मान ,
  वो छवि भारत की रखना ।
भरे जित ज्ञान ,
   तू कवि भारत का दिखना ।।

सजा कर तान ,
  हैं सुर भारत के रचना ।
सुना कर गीत ,
   चाहत भारत की रखना ।।

हटा कर जात ,
   राह नई हमको गढ़ना ।
मिटा कर पात ,
   रीत नई हमको भरना ।।

गंगा सम नीर,
  साथ सदा सबको बहना ।
सदा सच रीत ,
   है यह "निश्चल" का कहना ।।

.... विवेक दुबे"निश्चल"@..

आज़ादी

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