कुछ फैसले किताबों के,
ज़िंदगी के हिसाबों से ।
वो असमां सितारों के ,
चुभते रहे नजारों से ।
थामकर हर खुशी अपनी ,
दामन भर दिए सितारों के ।
टूटा नहीं एक भी ख़ातिर मेरी ,
हाथ उठे जब मेरे दुआओं के ।
वो नुक़्स निकालते रहे ।
हम खुद को ढालते रहे ।
उतार अक़्स शीशे में अपना,
संग से खुद को सम्हालते रहे ।
... विवेक दुबे''निश्चल''@....
डायरी 5(94)
ज़िंदगी के हिसाबों से ।
वो असमां सितारों के ,
चुभते रहे नजारों से ।
थामकर हर खुशी अपनी ,
दामन भर दिए सितारों के ।
टूटा नहीं एक भी ख़ातिर मेरी ,
हाथ उठे जब मेरे दुआओं के ।
वो नुक़्स निकालते रहे ।
हम खुद को ढालते रहे ।
उतार अक़्स शीशे में अपना,
संग से खुद को सम्हालते रहे ।
... विवेक दुबे''निश्चल''@....
डायरी 5(94)
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