चल देख लें जरा ।
चल सोच लें जरा ।
शब्द के सँग क्यों ,
अर्थ रह गया धरा ।
जीतकर इरादों को ,
एक शेर था गढ़ा ।
हारकर इशारों से ,
काफ़िया था पढ़ा ।
रह गया अधूरा सा ,
नशा ग़जल ना चढ़ा ।
सोचता है रिंद क्युं ,
साक़ीया ना मुड़ा ।
रूठता रिंद जो ,
झूमती ना मयकदा ।
... विवेक दुबे"निश्चल"@.
चल सोच लें जरा ।
शब्द के सँग क्यों ,
अर्थ रह गया धरा ।
जीतकर इरादों को ,
एक शेर था गढ़ा ।
हारकर इशारों से ,
काफ़िया था पढ़ा ।
रह गया अधूरा सा ,
नशा ग़जल ना चढ़ा ।
सोचता है रिंद क्युं ,
साक़ीया ना मुड़ा ।
रूठता रिंद जो ,
झूमती ना मयकदा ।
... विवेक दुबे"निश्चल"@.
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