शुक्रवार, 17 अगस्त 2018

चल देख लें जरा

 चल देख लें जरा ।
 चल सोच लें जरा ।

  शब्द के  सँग क्यों  ,
  अर्थ रह गया धरा ।

 जीतकर इरादों को ,
  एक शेर था गढ़ा ।

 हारकर इशारों से ,
 काफ़िया था पढ़ा ।

 रह गया अधूरा सा ,
 नशा ग़जल ना चढ़ा ।

 सोचता है रिंद क्युं ,
 साक़ीया ना मुड़ा ।

 रूठता रिंद जो ,
 झूमती ना मयकदा ।

... विवेक दुबे"निश्चल"@.

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कलम चलती है शब्द जागते हैं।

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