तस्वीर भी बोलती होती ।
सीरत भी खोलती होती ।
न छुपते राज-ऐ-दिल कोई ,
हर राज तस्वीर खोलती होती ।
.....
बात एक यही चुभती रही ।
निग़ाह एक वो झुकती रही ।
तपिश न थी शबनम में कोई ,
पर रात भर वो घुलती रही ।
....
मामला न था जीत का न हार का ।
सवाल था बस एक इक़रार का ।
रखे ज़वाब सारे सामने मैंने उसके ,
सवाल रहा फिर भी इख़्तियार का ।
.....
बार बार आजमाया उसने ।
ख़ुदा नजर आया जिसमे ।
बस रंज रहा इस बात का ,
नजरों से न गिराया उसने ।
...
झाँकता रहा आईने में अपने ।
बुनता रहा सुनहरे से सपने ।
सजते आँख में मोती कुछ ,
ढलक ज़मीं टूटते से सपने ।
...
लफ्ज़ वो दुआ सा क्यों लगता है ।
मुझे वो ख़ुदा सा क्यों लगता हैं ।
आता जो गुजर दूर से पास मेरे ,
लफ्ज़ वो ठहरा सा क्यों लगता है ।
....
चलते जाना तू चलते जाना ।
पतझड़ में भी फूल खिलाना ।
राह कठिन इस ज़ीवन वन की,
ज़ीवन वन गुम हो न जाना ।
...
शिकायत शराफत बनी अब तो ।
अदावत इनायत बनी अब तो ।
मिलते नही मुकाम रास्तो के ,
रास्ते ही मंज़िल बनी अब तो ।
..
चलते जाना तू चलते जाना ।
पतझड़ में भी फूल खिलाना ।
राह कठिन इस जीवन वन की,
ज़ीवन वन गुम हो न जाना ।
...
वक़्त ...
तू मुझसे,कब तक जीतेगा ।
एक दिन तो ,तू भी रीतेगा ।
समा काल के,गरल गाल में ,
एक दिन तो ,तू भी बीतेगा ।
...
सफ़र-ऐ-तलाश हम ही ।
सफर-ऐ-मुक़ाम हम ही ।
रख निगाहों को आईने में,
ख़्वाब-ऐ-ख़्याल हम ही ।
....
कुछ तो है जिस की पर्दा दारी है ।
सबकी अपनी एक लाचारी है ।
फांसले हैं फ़क़त दिलो में अपने ,
यूँ तो दुनियाँ से अपनी यारी है ।
...
मोल न रहा मेरा कुछ इस तरह ।
बेमोल कहा उसने कुछ जिस तरह ।
.
....विवेक दुबे"निश्चल"@..
सीरत भी खोलती होती ।
न छुपते राज-ऐ-दिल कोई ,
हर राज तस्वीर खोलती होती ।
.....
बात एक यही चुभती रही ।
निग़ाह एक वो झुकती रही ।
तपिश न थी शबनम में कोई ,
पर रात भर वो घुलती रही ।
....
मामला न था जीत का न हार का ।
सवाल था बस एक इक़रार का ।
रखे ज़वाब सारे सामने मैंने उसके ,
सवाल रहा फिर भी इख़्तियार का ।
.....
बार बार आजमाया उसने ।
ख़ुदा नजर आया जिसमे ।
बस रंज रहा इस बात का ,
नजरों से न गिराया उसने ।
...
झाँकता रहा आईने में अपने ।
बुनता रहा सुनहरे से सपने ।
सजते आँख में मोती कुछ ,
ढलक ज़मीं टूटते से सपने ।
...
लफ्ज़ वो दुआ सा क्यों लगता है ।
मुझे वो ख़ुदा सा क्यों लगता हैं ।
आता जो गुजर दूर से पास मेरे ,
लफ्ज़ वो ठहरा सा क्यों लगता है ।
....
चलते जाना तू चलते जाना ।
पतझड़ में भी फूल खिलाना ।
राह कठिन इस ज़ीवन वन की,
ज़ीवन वन गुम हो न जाना ।
...
शिकायत शराफत बनी अब तो ।
अदावत इनायत बनी अब तो ।
मिलते नही मुकाम रास्तो के ,
रास्ते ही मंज़िल बनी अब तो ।
..
चलते जाना तू चलते जाना ।
पतझड़ में भी फूल खिलाना ।
राह कठिन इस जीवन वन की,
ज़ीवन वन गुम हो न जाना ।
...
वक़्त ...
तू मुझसे,कब तक जीतेगा ।
एक दिन तो ,तू भी रीतेगा ।
समा काल के,गरल गाल में ,
एक दिन तो ,तू भी बीतेगा ।
...
सफ़र-ऐ-तलाश हम ही ।
सफर-ऐ-मुक़ाम हम ही ।
रख निगाहों को आईने में,
ख़्वाब-ऐ-ख़्याल हम ही ।
....
कुछ तो है जिस की पर्दा दारी है ।
सबकी अपनी एक लाचारी है ।
फांसले हैं फ़क़त दिलो में अपने ,
यूँ तो दुनियाँ से अपनी यारी है ।
...
मोल न रहा मेरा कुछ इस तरह ।
बेमोल कहा उसने कुछ जिस तरह ।
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....विवेक दुबे"निश्चल"@..
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