बुधवार, 4 अप्रैल 2018

नाम कमाती बेटियां

दुनियाँ में, नाम भी,कमातीं बेटीयाँ ।
बेटों से,. आंगे भी , जातीं बेटियाँ ।
करतीं हैं, तन भी , मन भी अर्पण ,
बेटा जनने में, जान लगातीं बेटियाँ ।

फिर भी …..

क्यों सिसकतीं हैं ,
 बेटियाँ आज भी,
  गर्भ के अंधकारों में ?

          क्यों नहीं मिलती ,
          जगह आज भी ,
           कोख के दुलारों में ?

क्यों मारी जातीं ,
कोख़ में आज भी,
तीखे औजारों से ?

             क्यों मिलतीं हैं ,
           सिसकियाँ आज भी ,
           माँ की आवाजों में ?

.. विवेक दुबे “निश्चल”@…

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