भाव लिए अखण्ड डूबा कंठ कंठ ।
गीत लिखे प्रीत के बिखरे खंड खंड।
नीर बहा श्याम सा नैनन अभिराम सा,
गीत की हर प्रीत के पूर्ण विराम सा ।
जागा भाव कलम के विश्राम का ।
अंत यही जीवन के हर संग्राम का ।
जीवन के हर संग्राम का .....!!
... विवेक दुबे"निश्चल"@ ....
गीत लिखे प्रीत के बिखरे खंड खंड।
नीर बहा श्याम सा नैनन अभिराम सा,
गीत की हर प्रीत के पूर्ण विराम सा ।
जागा भाव कलम के विश्राम का ।
अंत यही जीवन के हर संग्राम का ।
जीवन के हर संग्राम का .....!!
... विवेक दुबे"निश्चल"@ ....
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