कुछ बातें बंद लिफाफों में।
कुछ अनसुलझे वादों में।
उलट पलट कर देखा मैंने ,
तारों सँग अंधियारी रातों में।
.....
भाव खो गए भाबों में।
वादे भूले सब यादों में ।
हर रिश्ता तो अब ,
बिकता है बाज़ारों में।
चकाचोंध की इस दुनियाँ में ।
होता सब कुछ अँधियारों में ।
सूरज भी अब तो अक़्सर,
सोता है तम के गलियारों में ।
...विवेक दुबे "निश्चल"©...
कुछ अनसुलझे वादों में।
उलट पलट कर देखा मैंने ,
तारों सँग अंधियारी रातों में।
.....
भाव खो गए भाबों में।
वादे भूले सब यादों में ।
हर रिश्ता तो अब ,
बिकता है बाज़ारों में।
चकाचोंध की इस दुनियाँ में ।
होता सब कुछ अँधियारों में ।
सूरज भी अब तो अक़्सर,
सोता है तम के गलियारों में ।
...विवेक दुबे "निश्चल"©...
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