मेरी तीरगी-ऐ-रोशन उजाले न हुए ।
सम्हले हुए हालात सम्हाले न हुए ।
छोड़ गए वो दामन लम्हा लम्हा ,
वो अश्क़ आँख के निवाले न हुए ।
ख़ामोश है अब आज लव ये भी ,
तबस्सुम के जिनको सहारे न हुए ।
रहा न रंज भी पास अब कोई ,
जो ग़म के हम हवाले न हुए ।
छुपता नही रोशनी की ख़ातिर ,
यह अँधेरे ही मेरे पुराने न हए ।
गुमां न था मुझे ऐतवार पर मेरे ,
हालात मगर मेरे दीवाने न हुए ।
सम्हले हुए हालात सम्हाले न हुए ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@...
सम्हले हुए हालात सम्हाले न हुए ।
छोड़ गए वो दामन लम्हा लम्हा ,
वो अश्क़ आँख के निवाले न हुए ।
ख़ामोश है अब आज लव ये भी ,
तबस्सुम के जिनको सहारे न हुए ।
रहा न रंज भी पास अब कोई ,
जो ग़म के हम हवाले न हुए ।
छुपता नही रोशनी की ख़ातिर ,
यह अँधेरे ही मेरे पुराने न हए ।
गुमां न था मुझे ऐतवार पर मेरे ,
हालात मगर मेरे दीवाने न हुए ।
सम्हले हुए हालात सम्हाले न हुए ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें