यह नजरिये की बात है ।
सुबह आती रात बाद है ।
खोजते चाँदनी सितारों में ,
चाँद होता क्यूँ दाग़दार है ।
..
रोशन रहे उजाले सभी के लिए ,
अंधेरों का कोई क्यूँ राजदार है ।
चली थी हवा घटाओं के लिए ।
चरागों को बुझाने में नहीं हाथ है ।
छूटा साहिल मौजों की चाह में ,
डुबाने में साहिल नहीं साथ है ।
न जा दूर मौजों में दरिया की,
समंदर भी अब यहीं पास है ।
रहा बे-निग़ाह निग़ाह में रहकर ,
"निश्चल'' जमाने का यही राज है ।
... विवेक दुबे"निश्चल"@...
सुबह आती रात बाद है ।
खोजते चाँदनी सितारों में ,
चाँद होता क्यूँ दाग़दार है ।
..
रोशन रहे उजाले सभी के लिए ,
अंधेरों का कोई क्यूँ राजदार है ।
चली थी हवा घटाओं के लिए ।
चरागों को बुझाने में नहीं हाथ है ।
छूटा साहिल मौजों की चाह में ,
डुबाने में साहिल नहीं साथ है ।
न जा दूर मौजों में दरिया की,
समंदर भी अब यहीं पास है ।
रहा बे-निग़ाह निग़ाह में रहकर ,
"निश्चल'' जमाने का यही राज है ।
... विवेक दुबे"निश्चल"@...
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