आई स्त्री हर युग मे,
राह बताने को ।
अपने को ,
दांव लगाने को ।
देश बचाने को ,
समाज बचाने को ।
हार गए जहाँ ,
पुरूष सभी ।
तैयार मिली तब,
अबला सबला,
बन जाने को ।
आई स्त्री हर युग में,
राह बताने को ।
... विवेक दुबे "निश्चल"@....
राह बताने को ।
अपने को ,
दांव लगाने को ।
देश बचाने को ,
समाज बचाने को ।
हार गए जहाँ ,
पुरूष सभी ।
तैयार मिली तब,
अबला सबला,
बन जाने को ।
आई स्त्री हर युग में,
राह बताने को ।
... विवेक दुबे "निश्चल"@....
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