वक़्त चलता है इंसान का ।
आता है कभी भगवान सा ।
मंजिल चली आती चलकर,
लगता जीवन आसान सा ।
आता है कभी शैतान सा ।
हर सहारा भी बे-काम सा ।
छूटता सहारा बीच राह में ,
गुम होता हर मुक़ाम सा ।
वक़्त चलता है इंसान का ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@...
आता है कभी भगवान सा ।
मंजिल चली आती चलकर,
लगता जीवन आसान सा ।
आता है कभी शैतान सा ।
हर सहारा भी बे-काम सा ।
छूटता सहारा बीच राह में ,
गुम होता हर मुक़ाम सा ।
वक़्त चलता है इंसान का ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें