मंगलवार, 3 अप्रैल 2018

जब भी दुनियाँ मुझे सताती है

जब भी दुनियाँ,
 मुझे सताती है ।
 माँ तू तब आज भी ,
 पास मेरे चली आती है ।

 आता है नजर पीठ पर ,
   हाथ तेरा मुझे  ,
   आज भी तू  ,
 यूँ होंसला बढ़ाती है ।

 डरता नही ज़माने से,
  तेरी आहट  ,
 कदम से कदम मिलाती है ।

 जीतता हूँ , हर जंग दुनियाँ से ,
 तेरे नाम की ,
 ताक़त मुझे जिताती है ।

 माँ आज भी,...
 ... विवेक दुबे "निश्चल"@...

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