हालात से हयात जूझती ।
वक़्त से सवाल पूछती ।
चली आज तक जिस सफ़र ,
उस सफ़र का हिसाब पूछती ।
रहेंगे यह हालत कब तलक,
उन हालात की मियाद पूछती ।
ख़ामोश रही जुबां उम्र सारी ,
उस खामोशी के राज पूछती ।
साँझ किनारे मुक़ाम नही ,
सुबह अपना अंजाम पूछती ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@...
वक़्त से सवाल पूछती ।
चली आज तक जिस सफ़र ,
उस सफ़र का हिसाब पूछती ।
रहेंगे यह हालत कब तलक,
उन हालात की मियाद पूछती ।
ख़ामोश रही जुबां उम्र सारी ,
उस खामोशी के राज पूछती ।
साँझ किनारे मुक़ाम नही ,
सुबह अपना अंजाम पूछती ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@...
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