झुक गया , ईमान से खुदा ।
बस दिल में ,ईमान तो मिला ।
लफ्ज़ उगलता है बुत भी ,
बस दिल से, निग़ाह तो मिला ।
चलता है संग साथ भी ,
बस दिल से , राह तो बना ।
देगा राह दरिया भी ,
बस दिल से ,साहिल तो जा ।
बुझाते हैं प्यास अश्क भी,
बस दिल से , नज़्म तो गा ।
मिलता है मुक़ाम सभी को ,
बस दिल से,"निश्चल" चलता जा ।
..... विवेक दुबे"निश्चल"@.....
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