बुधवार, 4 अप्रैल 2018

तमस के गलियारे

भाव खो गए भाबों में।
 वादे भूले सब यादों में ।
            हर रिश्ता तो     अब ,
            बिकता है बाज़ारों में। 

 चकाचोंध की इस दुनियाँ में ।
 होता है सब कुछ अँधियारों में ।
          सूरज भी अब तो अक़्सर, 
         सोता है तमस के गलियारों में ।

               .... विवेक दुबे"निश्चल"@ ...

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