भाव खो गए भाबों में।
वादे भूले सब यादों में ।
हर रिश्ता तो अब ,
बिकता है बाज़ारों में।
चकाचोंध की इस दुनियाँ में ।
होता है सब कुछ अँधियारों में ।
सूरज भी अब तो अक़्सर,
सोता है तमस के गलियारों में ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@ ...
वादे भूले सब यादों में ।
हर रिश्ता तो अब ,
बिकता है बाज़ारों में।
चकाचोंध की इस दुनियाँ में ।
होता है सब कुछ अँधियारों में ।
सूरज भी अब तो अक़्सर,
सोता है तमस के गलियारों में ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@ ...
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