ठीक नही अब सब कुछ।
बिगड़ चला अब कुछ कुछ ।
जीतता ही रहा लड़कर जो,
थक हार चला अब कुछ कुछ ।
....
आये थे जहाँ सुबह ,
साँझ वहाँ से लौटना ।
सफ़र न था उम्र भर का ,
तू न यह जरा सोचना ।
....
....विवेक दुबे "निश्चल"@..
बिगड़ चला अब कुछ कुछ ।
जीतता ही रहा लड़कर जो,
थक हार चला अब कुछ कुछ ।
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आये थे जहाँ सुबह ,
साँझ वहाँ से लौटना ।
सफ़र न था उम्र भर का ,
तू न यह जरा सोचना ।
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....विवेक दुबे "निश्चल"@..
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