बुधवार, 11 अप्रैल 2018

चुनाव समर

मन्दिर मस्जिद आरक्षण की ,
 यह कैसी लाचारी है ।
 राष्ट्र , समाज ,जाति  पर ,
 अब भी राजनीति ही भारी है ।

निकट चुनाव चले आते , 
 तब याद हमारी आती है ।
  वोटों के व्यापार में ,
 पिसती जनता बेचारी है ।

   होते बन्द , जन रंगे लहु से ,
   जलती होली की लाचारी है ।
   काट रहे अपने अपनों को ,
   सत्ता की कैसी सौदेदारी है ।

      मुद्दों से भटकी सत्ता ,
      गद्दी भी व्यापारी है ।
    धर्म ,जात की आड़ लिए ,
   चुनाव समर की तैयारी है ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@...

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