सोया न मैं सुबह की चाह में,
इरादे कुछ और थे हालात के ।
मैं क्या दूँ तुझे तेरे वास्ते ,
सो गए सितारे मेरे रात के ।
कहकर संग दिल पुकारा उसने मुझे ।
बुझते ही शमा मोम से मेरे हालत थे ।
सूखा है दरिया आज भी जस का तस ,
मेरे अश्क़ आज भी तो मेरे ही पास थे ।
न लड़ा आज तक खुद ही खुद से ,
जीतने के ज़ज्बात न मेरे पास थे ।
दूर आवाज़ जाती तो जाती कैसे,
पास मेरे ही तो मेरे ख्यालात थे ।
चलता रहा न गिरने की ख़ातिर ,
"निश्चल" कदमों के मेरे माप थे ।
..... विवेक दुबे "निश्चल"@..
गोष्ठी 17/1/18
इरादे कुछ और थे हालात के ।
मैं क्या दूँ तुझे तेरे वास्ते ,
सो गए सितारे मेरे रात के ।
कहकर संग दिल पुकारा उसने मुझे ।
बुझते ही शमा मोम से मेरे हालत थे ।
सूखा है दरिया आज भी जस का तस ,
मेरे अश्क़ आज भी तो मेरे ही पास थे ।
न लड़ा आज तक खुद ही खुद से ,
जीतने के ज़ज्बात न मेरे पास थे ।
दूर आवाज़ जाती तो जाती कैसे,
पास मेरे ही तो मेरे ख्यालात थे ।
चलता रहा न गिरने की ख़ातिर ,
"निश्चल" कदमों के मेरे माप थे ।
..... विवेक दुबे "निश्चल"@..
गोष्ठी 17/1/18
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