तुम आते बस एक बार ,
देता मैं अपमान बिसार ।
तुम मेरे प्राण अपार ,
स्पंदित प्राणों के तार ।
अनुरागित उन्माद राग ,
छिड़ जाता बसंत राग ।
तुम आते बस एक बार ।
मन खिलते पुष्प अपार ,
छा जाती प्रणय बयार ।
बहती अविरल अश्रु धार ,
धुल जाता अपमान विषाद ।
देता मैं सर्वस्व तुम पर वार ,
न होता कोई अपमान विराग ।
तुम आते बस एक बार ।
.... विवेक दुबे "निश्चल"@....
देता मैं अपमान बिसार ।
तुम मेरे प्राण अपार ,
स्पंदित प्राणों के तार ।
अनुरागित उन्माद राग ,
छिड़ जाता बसंत राग ।
तुम आते बस एक बार ।
मन खिलते पुष्प अपार ,
छा जाती प्रणय बयार ।
बहती अविरल अश्रु धार ,
धुल जाता अपमान विषाद ।
देता मैं सर्वस्व तुम पर वार ,
न होता कोई अपमान विराग ।
तुम आते बस एक बार ।
.... विवेक दुबे "निश्चल"@....
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