शुक्रवार, 13 अप्रैल 2018

चित्र चिंतन


  उठा किताब कलम को ।
   तू थाम ज्ञान विज्ञान को  ।
    कर पथ रोशन अपना ,
    तू बना सहारा ज्ञान को ।
   
  जकड़ न लें बेड़ियाँ तुझको ।
  जकड़े पराधीन बंधन तुझको ।
  तोड़ बेड़ियाँ कुंठित बंधन की ।
    स्वयं सहारा दे तू खुदको ।
..... विवेक दुबे"निश्चल"@...


चित्र गूगल संभार

कोई टिप्पणी नहीं:

कलम चलती है शब्द जागते हैं।

सम्मान पत्र

  मान मिला सम्मान मिला।  अपनो में स्थान मिला ।  खिली कलम कमल सी,  शब्दों को स्वाभिमान मिला। मेरी यूँ आदतें आदत बनती गई ।  शब्द जागते...